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ज़ख्म

जिन्दगी
जिन्दगी
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पत्थर फेंका किसी
अनजाने ने
सर से आ टकराया
समय बीता –
घाव भर गया |
दिल तोड़ ड़ाला किसी
अपने ने –
जख्म गहरा हुआ
मगर भर न पाया |

कान्ता गोगिया

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