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शब्द नहीं हैं (प्रणय काव्य – कांटेस्ट)

जिन्दगी
जिन्दगी
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शब्द नहीं हैं पास मेरे रचने को –
सिर्फ तुम्हारी आँखें ही
पर्याप्त हैं , सारा कुछ कहने को |
क्षण भर तुम्हारा मुझे अपलक तकना
लयबद्ध कर गया मेरी सम्पूर्ण चेतना
फिर बोलो शेष क्या
शब्दों में बंधना |

-कान्ता गोगिया

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