जिन्दगी
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दिल कि गहराईओं से चाहा तुमको,
काश! यह बात में बता सकती,
मेरी खातिर कभी तुम आ जाते,
तुमको पलकों पे मैं बिठा सकती
चाहे दो पल भी साथ चलते मेरे
रास्ते को हंसी बना सकती
तुम रगों तक में बस गए मेरे,
मैं तुम्हें काश यह दिखा सकती
हर बहाना है तुम से मिलने का,
तेरे दिल को मैं सब सुना सकती
अब तो तुम मन लो, खुद के लिए,
मेरा भी दिल है, प्यार करती हूँ
तुम नहीं आते मगर फिर भी –
हर घड़ी इंतज़ार करती हूँ |
– कान्ता गोगिया
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